Friday, June 8, 2018


"हाँ सब कुछ तो वैसा ही है"



हाँ सब कुछ तो वैसा ही है 
आसमान,ज़मीन,पंछी,नदी वैसे ही उतर रही है पहाड़ों से 
लोग भाग रहे है अपने सपनों के पीछे मैं भी उसी दौड़ का 
एक हिस्सा हूँ शायद 
लोग रोज़ उठते है अपने बिस्तर से अपनी किस्मत को सुबह देखने के साथ
हाँ, शायद मेरा ये ख़्वाब कभी पूरा ना हो
ख़ैर, सब निकल रहे है सुबह-सुबह
बस,मैट्रो से अपने दफ़्तर की ओर
मैं भी तो निकला ही हूँ ना
तुमने ही कहा था अपने सपने पूरे करो
हाँ, शायद हो ही जायें वो भी कुछ ही सही
मेरे लिए तुम्हारा जिस्म कभी मायने नहीं रखता
"
तुम्हारा" होना ज़्यादा मायने रखता है
तुम नहीं रहोगी तो उन कहानियों का क्या मतलब
जो मैं रातों को लिखता हूँ.
ख़ैर सब कुछ वैसा ही है बस तुम नहीं हो
और घुप्प अँधेरा है मौत सी ख़ामोशी के साथ I

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