"मरने से पहले कोई नहीं मरता, लोग जीते जी मर जाते हैं" ।
ये कोई ख़्वाब है क्या जो मैं देख रहा हूँ, तारे जो मेरे भीतर टिमटिमा रहे हैं तुम्हें सोचने के बाद । क्या तुम यहाँ हो जहाँ तुम्हें होना चाहिए या तुम जा चुकी हो किसी और की बाहों में । तुम्हें नहीं मिलेगी वैसी गर्माहट जैसी मेरी मौजूदगी में रहती है । तुम्हारी बातें अभी तक मेरे कानों में गूंज रही हैं कि मैं प्यार नहीं करती शायद कोई धोखा हुआ है आपको । क्या ख़्वाब यूँ ही टूट जाते हैं इश्क़ में, क्या वादा तोड़ने के लिए करते हैं ।
जानती हो उस दिन जब मैं तुम्हारे लिए लाया था कानों की बालियाँ तो मैंने उसे ख़ुद पहनकर देखा था बार-बार ये देखने के लिए की ये बालियाँ मुझपर कैसी लगती हैं क्यूंकि मुझमें हर वक़्त रहती हो तुम । क्या मेरे अंदर की स्याह सच्चाई से परेशां हो तुम । क्या तुमनें कभी कोशिश की जानने की किन रास्तों पर चला हूँ मैं ।
किस बोझ को उठाता हूँ रोज़ अपने दिल के भीतर ।
किस बोझ को उठाता हूँ रोज़ अपने दिल के भीतर ।
वो जो मेरी उंगलियां तैर रही थी तुम्हारी कमर के आसपास उन्हें भी पता था कि उनकी मंज़िल कुछ भी नहीं लेकिन ज़िंदगी में कोई मंज़िल हो ये ज़रूरी भी तो नहीं । क्या तुम्हें किसी ने गले से लगाया है जैसे सिमट जाती हो तुम मुझमें । तुम जब कहती हो तो मैं ख़ुद को समझने लगता हूँ एक आकाशगंगा जिसमें समाये हैं, करोड़ों तारे । तुम मेरा सबसे चमकदार तारा हो आओ टूट जाये एक दूसरे के दरम्यान ।
हम दोनों रहेंगे एक ही आसमाँ के नीचे, देखेंगे फूल और मौसम को बदलते हुए । जब सब टूटकर बिखर जाएगा तो शायद तुम्हारी आँख से टपका आँसू टूटकर गिरे तुम्हारी उन बोझिल पलकों से जिन पलकों से सैंकड़ो बार निहारा है तुमनें मुझे । तुम्हारे आँसुओ से शायद हो जाये रेगिस्तान में रिमझिम बारिश और शायद फिर पैदा हो ज़िंदगी फिर से ।
बहुत टूटा है मुझमें मेरा हिस्सा, तुम्हें भी तो एहसास होना चाहिए कि ज़िंदगी में टूटना किसे कहते हैं जानाँ ।