एक बात कहूँ..
छोड़ो क्या रखा है बातों में.?
अंधेरों में ज़िंदा रहो,
ज़रूरी नहीं रौशन हुआ जाये मौकापरस्तों की तरह..
मैं नाक़ाम अच्छा हूँ खोखला कामयाब होने से.
तुम संभालो अपने खूबसूरत से वक़्त को,
मारो मेरे सीने में ख़ंजर और जश्न मनाओ अपनी कामयाबी का,
तुम गीत बुनो अपने दोस्तों के संग की तुम कामयाब हुए,
आग लगो दो तुम अपनी इस खोखली दुनिया में..
ज़रूरी नहीं रौशन हुआ जाये मौकापरस्तों की तरह..
मैं नाक़ाम अच्छा हूँ खोखला कामयाब होने से.
तुम संभालो अपने खूबसूरत से वक़्त को,
मारो मेरे सीने में ख़ंजर और जश्न मनाओ अपनी कामयाबी का,
तुम गीत बुनो अपने दोस्तों के संग की तुम कामयाब हुए,
आग लगो दो तुम अपनी इस खोखली दुनिया में..
पर एक बात कहूँ,
छोड़ो क्या रखा है बातों में.?
छोड़ो क्या रखा है बातों में.?
#प्रवीण
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