ख़्वाब जो साथ पूरे करने थे आओ अब उन सभी ख़्वाबों को खुद से ही आग लगा दें ।
इस दुनिया में कोई अकेला नहीं आया है सब आये एक याद लेकर जो पिछले जन्मों का फ़लसफ़ा है । तुम्हारी याद लेकर मैं इस दुनिया से चला जाऊँगा और कोई कोशिश करूँगा की इसका असर तुम पर ना पड़े । तुम्हारी हर बात मेरे कानों में ख़ून बनकर दौड़ने लगती है, शायद तुम्हें मेरा होना ही नहीं था लेकिन जब नहीं होना तो फिर तुम आई क्यूँ इस सवाल से मैं ज़िंदगी भर जूझता रहूँगा । तुमनें मुझे बहुत से ग़म दिए और बहुत सी ख़ुशियाँ भी दी लेकिन तक़लीफ़ की डेंसिटी तुम्हारी ख़ुशियों से कई गुना ज़्यादा दी थी ।
मैं इंसानो को बीच कभी नहीं पिसना चाहता और उसमे भी वैसे लोग जिन्हें ख़ुद की ज़िंदगी का अता-पता नहीं है लेकिन दूसरों को यूटोपिया दिखाकर उन्हें बरगलाना चाहते हैं । मेरे चाहत का मज़ाक बनाने वाले हर उस आदमी को जवाब देना होगा जो आजतक अपने चेहरे के पीछे एक गंदगी से भरी हुई सीरत लिए बैठे हैं । अब तुम जा चुकी हो जैसे तुम आई थी, तुम्हारे जाने से मैं बिखर सा गया हूँ, टूटा हुआ पहले से था । तुमनें उसमे थोड़ी और आग भर दी है, कभी अगर गलती से भी टकरा जाओ तो नज़रें मत मिलाना क्यूँ ख़्वामखाह में तुम्हारी नज़रें झुक जायेंगी और शायद तुम्हें अपनी गलती का एहसास शायद उस दिन हो जाए ।
पूरब और पश्चिम का वो गाना है ना, "अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं, बहुत चाहने वाले मिल जाएंगे, अभी रूप का एक सागर हो तुम कँवल जितने चाहोगी खिल जाएंगे, दर्पण तुम्हें जब डराने लगे, जवानी भी दामन छुड़ाने लगे तब तुम मेरे पास आना प्रिय"
जब हिम्मत नहीं होती तो प्यार नहीं करना चाहिए क्यूंकि इश्क़ एक जंग है और इसको जीतने का एक ही रास्ता है और वो है साथ, लेकिन तुम्हें साथ नहीं रहना था । तुम्हारे नए आशिक़ों को मेरा सलाम कहना और तुम्हारे नए ख़्वाबों को भी जो तुम मेरे बिना देख रही हो । अब मैं शायद तुमसे कभी ना मिलूं क्यूंकि मुझमें इत्तनी क़ुव्वत नहीं है की हर बार रुस्वा किया जाऊँ भरे बाज़ार में । तुम्हारे दिए हुए सभी तोहफे मैंने संभालकर रखे हुए हैं और वो फूलों का गुलदस्ता भी जो जो तुमनें उस रात आकर दिया था और चूम लिया था मेरे हाथों को । कहते हैं इश्क़ वो है पूरा नहीं हुआ लेकिन इस धोख़ेबाज़ी को क्या नाम दूँ ये मुझे बता दो । ख़ैर तुम्हारी इन सभी नाज़ायज़ हरकतों ने मुझे एक नया शगल दे दिया है और वो दुनिया के सामने आएगा । सुनों, वो तुम्हारे उन सभी मैसेज का क्या करूँ जिनमें तुमने बहुत से वादे किये हैं, उन सभी तस्वीरों का क्या करूँ ।
क्या, ऐसा करूँ की आग लगा दूँ क्या सबको ।
तुम कहती हो मेरे और तुम्हारे बीच कुछ भी एक जैसा नहीं है, चलो अब इसी पर बात ख़त्म करते हैं ।
इसके बाद तुमने कहाँ कुछ भी कहने लायक छोड़ा है ।
इस दुनिया में कोई अकेला नहीं आया है सब आये एक याद लेकर जो पिछले जन्मों का फ़लसफ़ा है । तुम्हारी याद लेकर मैं इस दुनिया से चला जाऊँगा और कोई कोशिश करूँगा की इसका असर तुम पर ना पड़े । तुम्हारी हर बात मेरे कानों में ख़ून बनकर दौड़ने लगती है, शायद तुम्हें मेरा होना ही नहीं था लेकिन जब नहीं होना तो फिर तुम आई क्यूँ इस सवाल से मैं ज़िंदगी भर जूझता रहूँगा । तुमनें मुझे बहुत से ग़म दिए और बहुत सी ख़ुशियाँ भी दी लेकिन तक़लीफ़ की डेंसिटी तुम्हारी ख़ुशियों से कई गुना ज़्यादा दी थी ।
मैं इंसानो को बीच कभी नहीं पिसना चाहता और उसमे भी वैसे लोग जिन्हें ख़ुद की ज़िंदगी का अता-पता नहीं है लेकिन दूसरों को यूटोपिया दिखाकर उन्हें बरगलाना चाहते हैं । मेरे चाहत का मज़ाक बनाने वाले हर उस आदमी को जवाब देना होगा जो आजतक अपने चेहरे के पीछे एक गंदगी से भरी हुई सीरत लिए बैठे हैं । अब तुम जा चुकी हो जैसे तुम आई थी, तुम्हारे जाने से मैं बिखर सा गया हूँ, टूटा हुआ पहले से था । तुमनें उसमे थोड़ी और आग भर दी है, कभी अगर गलती से भी टकरा जाओ तो नज़रें मत मिलाना क्यूँ ख़्वामखाह में तुम्हारी नज़रें झुक जायेंगी और शायद तुम्हें अपनी गलती का एहसास शायद उस दिन हो जाए ।
पूरब और पश्चिम का वो गाना है ना, "अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं, बहुत चाहने वाले मिल जाएंगे, अभी रूप का एक सागर हो तुम कँवल जितने चाहोगी खिल जाएंगे, दर्पण तुम्हें जब डराने लगे, जवानी भी दामन छुड़ाने लगे तब तुम मेरे पास आना प्रिय"
ये तस्वीर याद है ना जहाँ हम दोनों साथ गए थे और देखे थे कई ख़्वाब जो साथ पूरे करने थे आओ अब उन सभी ख़्वाबों को खुद से ही आग लगा दें ।
जब हिम्मत नहीं होती तो प्यार नहीं करना चाहिए क्यूंकि इश्क़ एक जंग है और इसको जीतने का एक ही रास्ता है और वो है साथ, लेकिन तुम्हें साथ नहीं रहना था । तुम्हारे नए आशिक़ों को मेरा सलाम कहना और तुम्हारे नए ख़्वाबों को भी जो तुम मेरे बिना देख रही हो । अब मैं शायद तुमसे कभी ना मिलूं क्यूंकि मुझमें इत्तनी क़ुव्वत नहीं है की हर बार रुस्वा किया जाऊँ भरे बाज़ार में । तुम्हारे दिए हुए सभी तोहफे मैंने संभालकर रखे हुए हैं और वो फूलों का गुलदस्ता भी जो जो तुमनें उस रात आकर दिया था और चूम लिया था मेरे हाथों को । कहते हैं इश्क़ वो है पूरा नहीं हुआ लेकिन इस धोख़ेबाज़ी को क्या नाम दूँ ये मुझे बता दो । ख़ैर तुम्हारी इन सभी नाज़ायज़ हरकतों ने मुझे एक नया शगल दे दिया है और वो दुनिया के सामने आएगा । सुनों, वो तुम्हारे उन सभी मैसेज का क्या करूँ जिनमें तुमने बहुत से वादे किये हैं, उन सभी तस्वीरों का क्या करूँ ।
क्या, ऐसा करूँ की आग लगा दूँ क्या सबको ।
तुम कहती हो मेरे और तुम्हारे बीच कुछ भी एक जैसा नहीं है, चलो अब इसी पर बात ख़त्म करते हैं ।
इसके बाद तुमने कहाँ कुछ भी कहने लायक छोड़ा है ।