Sunday, May 13, 2018

ख़्वाब जो साथ पूरे करने थे आओ अब उन सभी ख़्वाबों को खुद से ही आग लगा दें ।   

इस दुनिया में कोई अकेला नहीं आया है सब आये एक याद लेकर जो पिछले जन्मों का फ़लसफ़ा है । तुम्हारी याद लेकर मैं इस दुनिया से चला जाऊँगा और कोई कोशिश करूँगा की इसका असर तुम पर ना पड़े । तुम्हारी हर बात मेरे कानों में ख़ून बनकर दौड़ने लगती है, शायद तुम्हें मेरा होना ही नहीं था लेकिन जब नहीं होना तो फिर तुम आई क्यूँ इस सवाल से मैं ज़िंदगी भर जूझता रहूँगा । तुमनें मुझे बहुत से ग़म दिए और बहुत सी ख़ुशियाँ भी दी लेकिन तक़लीफ़ की डेंसिटी तुम्हारी ख़ुशियों से कई गुना ज़्यादा दी थी ।

मैं इंसानो को बीच कभी नहीं पिसना चाहता और उसमे भी वैसे लोग जिन्हें ख़ुद की ज़िंदगी का अता-पता नहीं है लेकिन दूसरों को यूटोपिया दिखाकर उन्हें बरगलाना चाहते हैं । मेरे चाहत का मज़ाक बनाने वाले हर उस आदमी को जवाब देना होगा जो आजतक अपने चेहरे के पीछे एक गंदगी से भरी हुई सीरत लिए बैठे हैं । अब तुम जा चुकी हो जैसे तुम आई थी, तुम्हारे जाने से मैं बिखर सा गया हूँ, टूटा हुआ पहले से था । तुमनें उसमे थोड़ी और आग भर दी है, कभी अगर गलती से भी टकरा जाओ तो नज़रें मत मिलाना क्यूँ ख़्वामखाह में तुम्हारी नज़रें झुक जायेंगी और शायद तुम्हें अपनी गलती का एहसास शायद उस दिन हो जाए ।
पूरब और पश्चिम का वो गाना है ना, "अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं, बहुत चाहने वाले मिल जाएंगे, अभी रूप का एक सागर हो तुम कँवल जितने चाहोगी खिल जाएंगे, दर्पण तुम्हें जब डराने लगे, जवानी भी दामन छुड़ाने लगे तब तुम मेरे पास आना प्रिय"


ये तस्वीर याद है ना जहाँ हम दोनों साथ गए थे और देखे थे कई ख़्वाब जो साथ पूरे करने थे आओ अब उन सभी ख़्वाबों को खुद से ही आग लगा दें ।   

जब हिम्मत नहीं होती तो प्यार नहीं करना चाहिए क्यूंकि इश्क़ एक जंग है और इसको जीतने का एक ही रास्ता है और वो है साथ, लेकिन तुम्हें साथ नहीं रहना था । तुम्हारे नए आशिक़ों को मेरा सलाम कहना और तुम्हारे नए ख़्वाबों को भी जो तुम मेरे बिना देख रही हो । अब मैं शायद तुमसे कभी ना मिलूं क्यूंकि मुझमें इत्तनी क़ुव्वत नहीं है की हर बार रुस्वा किया जाऊँ भरे बाज़ार में । तुम्हारे दिए हुए सभी तोहफे मैंने संभालकर रखे हुए हैं और वो फूलों का गुलदस्ता भी जो जो तुमनें उस रात आकर दिया था और चूम लिया था मेरे हाथों को । कहते हैं इश्क़ वो है पूरा नहीं हुआ लेकिन इस धोख़ेबाज़ी को क्या नाम दूँ ये मुझे बता दो । ख़ैर तुम्हारी इन सभी नाज़ायज़ हरकतों ने मुझे एक नया शगल दे दिया है और वो दुनिया के सामने आएगा । सुनों, वो तुम्हारे उन सभी मैसेज का क्या करूँ जिनमें तुमने बहुत से वादे किये हैं, उन सभी तस्वीरों का क्या करूँ ।

क्या, ऐसा करूँ की आग लगा दूँ क्या सबको ।   

तुम कहती हो मेरे और तुम्हारे बीच कुछ भी एक जैसा नहीं है, चलो अब इसी पर बात ख़त्म करते हैं ।
इसके बाद तुमने कहाँ कुछ भी कहने लायक छोड़ा है ।            

Sunday, May 6, 2018

जलती चिताओं के बीच ज़िंदगी अपनी तान को छेड़े रखती है ।

शायद ये हो जाता तो वो नहीं होता और वो होता तो कुछ नहीं होता । मेरी ज़िंदगी इस टाइम फ्रेम में अटक गई है, ज़हर के घूँट पी रहा हूँ ये जानते हुए की ये ज़हर मुझे शिव नहीं बनाएगा ।  शिव से शव की अवस्था में रहना ज़िंदगी है ।  दुआ के धागों में, जलती चिताओं के बीच ज़िंदगी अपनी तान को छेड़े रखती है ।  किसी के होने या ना होने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता जब भी ये बात कोई कहे तो समझ जाना कि उसकी जान अटकी हुई है हलक में और किसी भी वक़्त निकल सकती है ।

मौत को रोमांटिक बनाना अपने आप में एक कला है लेकिन सच कहूँ दिल से ज़िंदगी से ज़्यादा रोमांटिक और कुछ नहीं । केदारनाथ सिंह ने कहा कि जाना हिंदी की सबसे खौफ़नाक क्रिया है, अगर ये सच नहीं है तो किसी को जाते हुए महसूस करना । जब वो जा रही थी तो मैं उसके हाथों को पता नहीं क्यूँ इस क़दर देख रहा था जैसे शायद पता नहीं अब अगले पल मुझसे क्या हो जाए । उसका जाना मुझे भीतर से तोड़ रहा था, मैं बहुत रोना चाहता था इस क़दर जैसे बरसों से नहीं रोया था ।





एक कमरे में उसकी यादों के साथ रोज़ मेरी रातें गुज़र जाती है थोड़ा घुटते हुए और लिखते हुए । लिखकर घुटन कम हो जाएगी ये सोचकर थोड़ा और घुट लेता हूँ । उसका दुप्पटा जो मेरे सिरहाने रखा रहता है, उसमें आज भी उसकी ख़ुशबू है वो ही ख़ुशबू जो उसकी शराब सी गर्दन के आसपास रहती है ।
उसने अपना दुप्पटा दे दिया था बहुत कुछ कहकर लेकिन ये नहीं कहा कि उसके बिना क्या करना है । मुझे समझ नहीं आता है कि मैं ज़िंदगी जी रहा हूँ कि किसी फ़िक्शन के स्क्रीनप्ले स्क्रिप्ट में फँस गया हूँ, जहाँ हर कैरेक्टर अपनी एक भूमिका निभा रहा है कर मेरा काम सिर्फ हर किसी को एक नदी किनारे से देखना है ।
कभी दुनिया के ढंग से हुए नहीं और जो तुम आ गई थी तब तक ऐसा लगा सारी दुनिया मेरी है । वो दुनिया जो मेरे दमघोंटू कमरे में रहती है जहाँ रौशनी कम है और यादें ज़्यादा है जहाँ एक रस्सी टंगी हुई है मौत के लिए और साथ ही जल रहा है एक दिया ज़िंदगी के लिए ।

Thursday, May 3, 2018

सुनों, तुम्हें गले से लगाना दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत एहसासों में से एक है । लेकिन ना जाने क्यूँ तुम्हें बड़ी जल्दी रहती है दूर जाने की, ना जाने क्यूँ सबको जल्दी रहती है । ख़्वाब टूटने तक तो ठीक है लेकिन दिल नहीं टूटना चाहिए क्यूंकि दिल टूटने की भयंकर आवाज़ होती है । मशहूर होने और गुमनाम रहने के बीच की जद्दोजहद आदमी को पागल कर देती है । उसे समझ ही नहीं आता कि वो क्या सही और क्या गलत कर रहा है, जैसे तुम्हें समझ नहीं आ रहा है कि तुम्हें जब क्या चाहिए और कब क्या कैसे कहना है । वैसे सच बताऊँ तो ये ज़रूरी भी नहीं है ।
मैं तुम्हारी सारी बातें समझ भी लूँ तो ख़ुद को ये कैसे समझाऊँ की तुम बस कन्फ्यूज्ड हो, कन्फ्यूज्ड लोगो का अलग साइंस होता है वो ख़ुद के साथ सारी दुनिया को कंफ्यूज़ समझते हैं, ख़ुदा के लिए उनके जैसा मत बनो । आधे प्यार करने वालों की दिक्कत ये है कि उन्हें ये पता नहीं लगता है कि कौन उनसे प्यार करता है और उनका काट रहा है ।




जिस प्रेशर की बात कह कर तुम मुझे समझाने की कोशिश करती हो मेरी जान प्रेशर में तो सारी दुनिया है इसका मतलब ये तो नहीं कि सही-ग़लत में फ़र्क करना बंद कर दिया जाए । सपनें तो सब देखते हैं लेकिन उन सपनों में जीते बहुत कम लोग हैं और उन काम लोगो की तादाद की वज़ह से ही ये दुनिया किसी तरह से चल रही है । प्यार करने वाले इसलिए भी कई बार बिछड़ जाते हैं क्यूंकि जब डिसीजन लेने की बारी आती है तो उनको उस वक़्त हड़प्पा से लेकर माया तक सबकी फ़िक्र होने लगती है । हिम्मत है साथ निभाने की तो हाथ पकड़ो, दुःख-सुख में साथ रहो नहीं तो बेमतलब का नाटक बंद कर देना चाहिए आज की जनरेशन को ।
प्यार कैफ़े में नहीं होता जान, प्यार तब होता है जब तेज़ बुख़ार हो और रात भर देखभाल करते हुए नींद ना आए और सुबह जब आँख खुले तो सामने पलकों के सामने लटकती जुल्फ़ें हो बेपरवाह सा चेहरा हो ।
और तुम चूम लो उसी तेज़ बुख़ार में मेरे माथे पर और फिर गले लग जाओ मेरे । ❤️


शायद ये जानते हुए की.... शायद ये जानते हुए की जानकार कुछ नहीं होगा मैं तुमसे पूछना चाहता हूँ की तुम कैसी हो, खाना टाइम पर खा लेती होना ...