Tuesday, April 24, 2018

ख़ुद के मातम में ख़ुद ही रोये ज़ार-ज़ार ।
तुम मुझे कभी कभी दिल्ली सी लगती हो एकदम दिलफ़रेब और झूठी । दिल्ली ने हर किसी से झूठ बोला कि वो उससे बहुत मोह्हबत करती है । कितने सुल्तान आये और ना जाने कितने ज़मींदोज़ हो गए उसी धूलभरी मिट्टी में जिसपर वो हुक़ूमत करना चाहते थे । ख़ैर पुरानी आदत है मेरी की मैं सबको दिल्ली से मिलाने लगता हूँ लेकिन कभी नहीं सोचा था कि तुम किसी और से मिल पाओगी ।
तुम्हारी हँसती हुई तस्वीरें देखी, एक बात बताओ कैसे हँस लेती हो तुम इतना सब होने के बाद भी । मुझसे तो ऐसी झूटी हँसी नहीं लाई जाती है । मैं तुम्हारी तरह दिलफ़रेब नहीं हूँ ।
मुझे जलाने की नाक़ाम कोशिशें मत करो जान मैं बरसों पहले किसी अपने को फूँक आया हूँ, याद है ना । बरसों बात कुछ ख़्वाब देखने की हिम्मत लाया था कि शायद अब ज़िंदगी सामने है लेकिन नहीं जानता था कि तुम शायद दिल्ली की सल्तनत हो गई हो ।
ये तस्वीर देख रही हो ये हौज़ ख़ास है जहाँ पर इश्क़ के नए परिंदे उड़ान भरते हैं मेरी पसंदीदा जगहों में से एक है ये । 
अगर कभी तुम यहाँ जाओ किसी और के साथ तो कोई वादा मत करना क्यूंकि वादे ना निभाने की आदत है तुम्हारी ।



सुना है हम सब मर जायेंगे एक दिन और उस दिन एक अदालत बैठेगी जहाँ पर फ़ैसले सुनाए जाएंगे ज़िंदगी भर के मुझे उम्मीद है तुम नज़र मिलाकर बात कर पाओगी उस दिन मुझसे ।
वादे करने दुनिया की सबसे ओवररेटेड चीज़ है कोई भी कुछ भी वादा कर देता है और हम यक़ीन कर लेते हैं । तुम्हें किसी और के साथ देखकर बहुत दिल जल जाता है जानता हूँ कि आम आशिक़ों वाली हरक़त है ये लेकिन जान मेरा इश्क़ आम नहीं है । ये तुम्हारे उन "ख़ास लोगो" की तरह बाज़ार में नहीं बिकता है ।
ख़ास लोगो को मेरे तुम्हारे बीच आने से रोको ।
सुना है लिखने लगी हो और पता है ये एक अच्छी ख़बर है क्यूंकि ज़िंदगी तुमसे बहुत सवाल पूछेगी जहाँ मैं नहीं रहूँगा और तुम ज़्यादा बोलना पसंद नहीं करती हो शायद लिखना काम आ जाये ।

Sunday, April 8, 2018

"ये जनरेशन इश्क़ डिज़र्व नहीं करती है" ।
बहुत दिनों से कुछ लिखना चाह रहा था कि क्या सच में ये जनरेशन इश्क़ डिज़र्व करती भी है कि नहीं, सच्चाई ये है कि इस जनरेशन की औक़ात नहीं है कि ये प्यार कर सके और उसे निभा भी सके । किसी से प्यार का वादा और उसे निभाना किसी और से, सारी थ्योरी इसी पर आकर अटक गई है और इसलिए ये सारा आसमाँ ग़मज़दा हुआ जा रहा है ।


आज भी जब मेरी माँ कहती है कि तुम्हारे पापा के साथ हम लोग 2 रोटी-दाल में भी बहुत ख़ुश थे तो कभी-कभी लगता है ये तो यूटोपिया में रहने जैसा हुआ । लेकिन अब लगता है शायद वो ही दो वक्त किसी अपने साथ खाई हुई डाल रोटी ही सच है बाकी सब झूठ है और धोखा है । सारी कहानियाँ जिसके साथ लिखी लेकिन जब उसे निभाने आये तो सारे रोल बदल चुके थे । वो शख़्स जिसे आपकी सारी खूबियाँ और कमज़ोरियाँ पता हों वो आप पर यक़ीन करना छोड़ दें तो लगता है इस दुनिया को ख़त्म हो जाना चाहिए लेकिन ये दुनिया आपके मिटने से पहले नहीं मिटेगी ।
आज इश्क़ सिर्फ़ एक कॉमा जैसा हो गया जिसमें लोग कॉमा लगाकर आगे बढ़ना पसंद करते हैं लेकिन मैं कॉमा नहीं फुलस्टॉप वाला हूँ । इस जनरेशन को लगता है किसी के साथ 2 मिनट रहकर और 2 मिनट बात करके वो अपना हो जाएगा । किसी को अपना बनाना है तो त्याग करना होगा जो आप कर नहीं पाएंगे । रिश्ता वो होता है जो दुनिया की बातों में आकर टूटता नहीं है बल्कि और भी मजबूत हो जाता है ।
लेकिन नहीं ऐसा कभी नहीं होगा अब, ना इस जनरेशन में और ना आने वाली सभी जनरेशन में क्यूंकी आजकल इश्क़ में लोग किसी के साथ भी सो जाते हैं लेकिन किसी के इश्क़ में जाग नहीं पाते ।
क्यूंकि ये जनरेशन इश्क़ डिज़र्व नहीं करती है ।
"साला ये दुनिया के सारे कोट्स मर्दों के ख़िलाफ़ हैं" ।
बहुत से लोगों को मुझसे बड़ी तक़लीफ़ है सच कहूँ तो मुझे भी ख़ुद से बड़ी तक़लीफ़ है जो शायद अब मौत के दिन ही ख़त्म हो पाएगी लेकिन मेरी जान मरोगी तो तुम भी और उस दिन तुम्हारी गिरेबाँ पकड़ कर पूछुंगा तुमसे की इतना झूठ कैसे बोल सकती हो । जब हाथ थामना ही नहीं था तो पकड़ा क्यूँ ।
बॉब मार्ले ने कभी कहा था कि एक औरत के दिल में इश्क़ को जगाकर धोखा करना दुनिया का सबसे ग़लत काम है, लेकिन जब यही काम एक औरत करें तो उसका क्या करें किस तराज़ू में तोले उसे । कैसे जज करें । कौन सा वाइन का ग्लास लेकर उसको बा इज़्ज़त बरी कर दें ।एक तो साला ये दुनिया के सारे कोट्स मर्दों के ख़िलाफ़ क्यूँ बने हैं । जब लोग कहते हैं प्यार करो तो निभाओ चाहे मरकर या ज़िंदा रहकर लेकिन जब निभाने की बारी आती है तो सारा प्यार हवा हो जाता है ।
तुम, तुम्हारा परिवार, तुम्हारी ख़्वाहिशे, तुम्हारी आज़ादी, तुम्हारे दोस्त,तुम्हारी ज़िंदगी सब कुछ तुम्हारा लेकिन हमारा क्या । हमारे हिस्से बस आती हैं ज़िम्मेदारी जो हमें चाहे मरकर या जीते जी निभानी ही हैं । जब पहली बार कोई मिलता है और तुम्हें लगता है कि वो तुम्हारे लायक नहीं हैं तो उसे तभी मना कर दो और कह दो कि वो अपनी औक़ात में रहे लेकिन जब इश्क़ कर लिया और निभाने की बारी आई तो हाथ मे वाइन ग्लास वाला फेमिनिस्म को शायद मैं हर बार ठुकरा दूँ।
अगर औरत की आज़ादी है तो मर्दों को भी आज़ादी होनी चाहिए । हर जगह दबकर रहो, सबकी सुनो, सारी ज़िम्मेदारी पूरी करो, बीवी को संभालो बच्चे पैदा करो और एक दिन साला कुत्ते की मौत मर जाओ । पहले ख़ुद से लड़ाई लड़ो फिर अपने सपनों से लड़ो, फिर लड़ो ख़ुद की ज़िंदगी से और एक दिन मर जाओ ये कहकर की मैं हार गया ।


झूट बोलने वालों ने दुनिया पर कब्ज़ा किया हुआ है एयर उनका ही रहेगा । जिन लोगों का ख़ुद भविष्य ख़तरे में है वो दूसरों की ज़िंदगी का फ़ैसला कर रहे हैं । बिना पढ़े लिखे दूसरों के रिश्तों में ज़हर घोल रहे हैं । ख़ुद का ठिकाना नहीं है लेकिन सबको "आज़ादी" दिलवाएंगे ।
किसी के रिश्ते में ज़हर घोल दें अगर आज़ादी है तो मैं पेशाब करता हूँ ऐसे लोगों पर । जिस रिश्ते में रहकर आप भविष्य के ख़्वाब बुनते हैं उसी रिश्ते को आप एक दिन कह देते हैं, "जाओ मेरा हो गया, अब मुझसे संभाला नहीं जा रहा" ।
सुनो इस बात का फ़ैसला होगा क़यामत के रोज़ जिस दिन तुम्हें देना होगा जवाब तुम्हारी हर एक ख़ता का । बाकी उन सभी लोगों के लिए दिल से बद्दुआएं निकलती हैं, आपकी ज़िंदगी का फ़ैसला आपके कर्म करेंगे ।
और सच बताऊँ तुम्हारी हैसियत नहीं है कि तुम मुझसे इश्क़ निभा पाओ ।

Tuesday, April 3, 2018

"यूँ हो कि नफ़रत हो जाए तुमसे" ।


कितना आसान होता है ना सब कुछ भूल जाना, मुझे उम्मीद है तुम मुझे और मेरे इश्क़ को भूल चुकी होगी । कुछ याद होगा तो ज़रूर बताना ख़ुद को और महसूस करना गर्माहट उन हाथों की जो तुम्हारे गालों पर प्रेमी की तरह कम और पिता की तरह ज़्यादा महसूस होती थी । ये उसी दिन की बात है जब तुम मेरे साथ सात जन्म के वादे कर रही थी और ये भी कह रही थी कि आप मुझे कभी छोड़कर मत जाना । लेकिन जानाँ तुमनें ख़ुद को झूठा बना लिया । ख़ैर इसका हिसाब होगा किसी रोज़ जब तुम बैठी होगी किसी अमीर, औहदेदार और ख़ूबसूरत आदमी की मल्लिका बनकर लेकिन सच कह रहा हूँ तुम्हें फ़िर उस वक़्त याद आएगी उसी गर्माहट की जो मेरे हाथों में है ।

आँखों पर पड़े पर्दे को कोई और नहीं हटा सकता लेकिन कोशिश की जानी चाहिए । तुम भी दुनिया जैसी हो गई हो क्या जो कमज़ोर है, डरी हुई है, लेकिन मजबूत रहने का गुमाँ रखे हुए है । जिस दिन तुम मुझसे टकराना यूँ ही राह चलते हुए तो कोशिश करना नज़र मिलाने की लेकिन मैं जानता हूँ तुम नहीं मिलाओगी नज़रें क्यूंकि तुम घबराती हो अपने आप से, दूसरों की नज़र से दुनिया नहीं देखी जाती । मैंने बहुत कोशिश की जिससे तुम नज़र पैदा करो लेकिन उससे हमारे बीच तुमनें फ़ासले पैदा कर लिए । आज यूँ करना कि ख़ुद को आईने में देखना और हाँ ग़ौर से देखना जिससे तुम्हें एहसास हो कि तुमनें खोखली दुनिया को चुन लिया है, खोखले लोग चुन लिए हैं, सफ़ेदपोश कपड़े पहनने वाले शहरी जंतु, जिन्हें कंक्रीट के जंगलों में रहना पसंद है, जो एक दूसरे की ज़िंदगी में करते हैं दख़लअंदाज़ी ।
सुनो, अब वादे मत करना किसी से जब तुम निभा ना सको, ख़ुद को इतना झूठा मत बनाओ, कोशिश करो ख़ुश रहने की । अब किसी से प्यार मत करना क्यूंकि तुम नहीं कर पाओगी । याद है ना वो अनगिनत ग़ुलाब के फूल जो मैं लाता था तुम्हारे लिए जब भी तुम उदास होती थी, याद है ना अनगिनत रातें जब मैंने तुमसे बात करते हुए नींद को कभी हमारे बीच में नहीं आने दिया । याद है सब कुछ जिसे याद रहना चाहिए, हाँ सब कुछ याद रखना और हो सके तो आज रोना फूटकर जिससे आँखों के नीचे काले धब्बे पर जायें और वो सभी स्याह ख़्याल निकल जाए जो तुम्हारे भीतर हैं ।
एक दिन आएगा जब तुम्हें मेरे सामने ख़ुदा लाएगा, मुझसे नज़रें मत मिलाना क्यूंकि मेरी आँखें अब लाल हो गई, नींद आती नहीं, खाना भाता नहीं । दुनिया मज़ाक उड़ाती है मेरे अकेलेपन का । मैं जानता हूँ कि ये दुनिया एक दिन ग़म करेगी अपनी एक-एक हरक़त का जो ये मेरे दिल को दुखाने में कोई कसर नहीं रख रही है फ़िलहाल, एक दिन यही लोग मुझे बिठाएंगे अपनी पलकों पर और चूमेंगे मेरे हाथों को जैसे मैं चूमता था तुम्हें । 

शायद ये जानते हुए की.... शायद ये जानते हुए की जानकार कुछ नहीं होगा मैं तुमसे पूछना चाहता हूँ की तुम कैसी हो, खाना टाइम पर खा लेती होना ...